रामलला के दाऊ – अयोध्या के योद्धा

इतिहास के संघर्ष का सुफल वर्तमान की चौखट पर है। भारत की लोकचेतना के राम का मंदिर बनने जा रहा। यह क्षण एक दिन में नही आया। आदालत में भी ऐतिहासिक किरदारों ने गवाही दी। पीढियां संघर्ष में गुजर गई। तब आदालत में भी सर्वानुमति बनी। वो रामलला के...

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वह दूत जो अयोध्या की गलियों में अवधूत बन भटकता है

सनातन संस्कार और अपने तमाम प्रतीकों के सहारे लगातार भारत भूमि पर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करते हुए अपने सफर में सनातन कैसे समृद्ध हो,कैसे संयमी हो,कैसे संकलिप्त हो,कैसे राम की मर्यादा को जन जन तक फैलाया जाय, राम की चेतना को सनातन का कैसे स्वभाव बनाया जाय?उसी...

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भावविह्वल हैं रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तपस्थलियां

ये भावविह्वल हैं। आनंद में निमग्न हैं, सदियां बीत गईं, प्रतीक्षा में। आखिर वह घड़ी आ ही गई। अयोध्या की आध्यात्मिक ऊर्जा के नाभि केन्द्र में रामलला का मंदिर बनने की आहट से रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अन्य तपस्थलियों की भी आस जगी। उन्हें महसूस होता है कि अब...

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महर्षि ने कराया दो राजवंशों का मिलन – अहो! अयोध्या

श्री राम और लक्ष्मण की जनकपुर यात्रा ने अयोध्या और मिथिला की संस्कृतियों को एकाकार करने में महती भूमिका निभाई। दोनों राज्यों के बीच पडऩे वाले क्षेत्र भय मुक्त हुए। सरोकारों की नई परिभाषा गढ़ी गई। महर्षि विश्वामित्र के साथ अयोध्या से जनकपुर की यात्रा में उन्होंने यूपी के...

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अयोध्या के रंग में रंगा वृहत्तर भारत

‘अहो! अयोध्या’ ऐसी पुस्तक है जो आपको अयोध्या की यात्रा पर ले जाती है। इस यात्रा का हर पड़ाव नया कुछ जानने समझने का अवसर उपलब्ध कराता है। रामजी के बहाने मर्यादा, संस्कार, त्याग और पुरूषार्थ को आत्मसात करने का अवसर देतें हैं। पुस्तक के कुछ अंशों के जरिए...

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जहं जहं चरण पड़े रघुवर के

भारत के भूगोल की देह ऐसी है, जिस पर कदम दर कदम ऋषियों ने महनीय हस्ताक्षर किए हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जैसा जननायक अयोध्या से श्रीलंका के बीच जहां भी चले, ठहरे वहीं राम की अवरा शक्ति ने सशक्त हस्ताक्षर कर दिए। तत्समय की समय की शिलाओं पर उनके...

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भारत आध्यात्मिक साधना का देश है – डा. कृष्णगोपाल

रामजन्म भूमि की एक लड़ाई सारा देश अभी जीता है। मंदिर हिन्दू समाज के श्रृद्धा के केन्द्र हैं। यह जानते हुए भी रामजन्म भूमि की लड़ाई इतनी लंबी चली। जिन्होनें तोड़ा उन्हें भी पता था कि मंदिर हिन्दुओं की आस्था के केन्द्र हैं। जबकि स्वतंत्रता मिलते ही हिन्दू समाज से...

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सांस्कृतिक सूर्य का तूर्यनाद

भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैभवपूर्ण बनाने की परंपरा में अयोध्या से निकले वनवासी श्रीराम की यात्रा मील का पत्थर है। १४ साल की यात्रा के दौरान वनवासी श्रीराम ने अयोध्या की संस्कृति को विभिन्न संस्कृतियों,संस्कारों और विचित्रता के साथ आपस में समन्वय कर स्थापित कर दिया। उन्होंने समाज...

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अयोध्या की सांस्कृतिक चौहद्दी

अयोध्या नगर से बाहर निकले तो चौरासी कोसी परिक्रमा के बीच ६५ ऐसे स्थल चिन्हित किए गए थे जिन्हें तीर्थ के रूप में मान्यता है। इनमें वैतरणी कुंड, सूर्यकुंड, नरकुंड, नारायण कुंड, रति कुंड, कुसुमायुध कुंड, दुर्गा कुंड, मंत्रेश्वर कुंड, गिरिजा कुंड, श्री सरोवर, बड़ी देवकाली, निर्मली कुंड, गुप्तार...

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राम भारत की आत्मा हैं – दत्तात्रैय होसबोले

अयोध्या, सरयू और भगवान राम की महिता सिर्फ अयोध्या तक सीमित नही। यह चतुर्भुवन तक है। सार्वकालिक है। अयोध्य़ा और राम जी से जुडा हर कार्यक्रम उतना ही पावन है जितनी अयोध्या है। पिछले अयोध्या पर्व और इस बार के अयोध्या पर्व में एक अंतर है। अयोध्या परंपरा से...

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