अयोध्या पर्व

राम और अयोध्या भारत की आत्मा हैं। यदि किसी को भारत को समझना है तो उसे राम और अयोध्या को जानना ही होगा। अयोध्या राम और भारत तीनों एक-दूसरे में समाए हुए हैं। किसी एक को हटाकर शेष को समझने का प्रयास करना नासमझी है। ऐसा करने वाले लोग प्रायः अयोध्या को तथाकथित ‘रेलिजियस मैटर’ मानते हैं। वास्तव में यही सोच भारत की बहुत सी समस्याओं की जड़ में समाई हुई है।

अयोध्या का नाम यदि आज भारत के प्राण तत्व की तरह यहां के कण-कण में समाया हुआ है तो निश्चित रूप से इसका एक भौगोलिक और ऐतिहासिक संदर्भ भी है जिसके स्रोत तक पहुंचने में तथाकथित इतिहास और इतिहासकार लाचार दिखाई देते हैं। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि हमारे इतिहासकारों ने अपनी इस लाचारी से जूझने की बजाए लंबे समय तक प्राचीन अयोध्या को ही मिथक बताकर खारिज करने का प्रयास किया।

 

अयोध्या का नाम आते ही एक बड़े वर्ग के मन में राम मंदिर और उससे जुड़ा विवाद तथा राजनीतिक नफे नुक्सान की ही बात मन में आती है। लेकिन वास्तव में अयोध्या इतना संकुचित नहीं है। इसकी कई परते हैं। कोई थोड़ा सा भी प्रयास करे तो उसे एक-एक करके अयोध्या के वृहत्तर आयाम दिखाई देंगे जिसमें कला, संस्कृति, अध्यात्म, जीवन दर्शन के साथ उत्सव धर्मिता के अनगिनत पहलू समाए हुए हैं।

भारत का पारंपरिक समाज अयोध्या को उसके वृहत्तर संदर्भ में देखने और समझने का अभ्यस्त रहा है और आज भी है। उसके लिए अयोध्या उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे से बढ़कर और भी बहुत कुछ है। उसके लिए अयोध्या एक विचार है, एक आदर्श है, एक जीवनशैली है जिसकी सगुण अभिव्यक्ति भगवान राम के रूप में होती है। दुर्भाग्य से अंग्रेजी पढ़ा-लिखा देश का अभिजात्य वर्ग अयोध्या के इस वृहत्तर स्वरूप से परिचित नहीं है।

विगत 28 फरवरी से 1 मार्च 2020 के दौरान दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में अयोध्या पर्व का आयोजन जहां एक ओर परंपरा से जुड़े लोगों को जहां एक ओर श्रद्धा और आस्था का मनोरम परिवेश उपलब्ध कराया, वहीं जाने-अनजाने देश की जड़ों से दूर हो चुके अभिजात्य वर्ग को भी अयोध्या को नए सिरे से जानने और समझने का मौका दिया। यहां पर अतीत, वर्तमान और भविष्य की अयोध्या का एक संगम दिखाई दिया जिसमें डुबकी लगाने से सबको कुछ न कुछ मिला।

माननीय उच्चतम न्यायालय की ओर से राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है उससे अयोध्या पर्व का विशेष महत्व बढ़ गया है। यह हम सभी को सुनिश्चित करना है कि भव्य राम मंदिर से एक भव्य अयोध्या को भी आकार दिया जाए, एक ऐसी अयोध्या जहां देश-दुनिया के लोगों को राम राज्य की सजीव झांकी भी देखने को मिले।

अयोध्या पर्व 2023

अयोध्या पर्व 2022

अयोध्या पर्व 2021

अयोध्या पर्व 2020

अयोध्या पर्व 2019