जिसमें रम गए वही राम है. सबके अपने-अपने राम हैं. गांधी के राम अलग हैं, लोहिया के राम अलग. वाल्मीकि और तुलसी के राम में भी फर्क है. भवभूति के राम दोनों से अलग हैं. कबीर ने राम को जाना था, तुलसी ने माना. राम एक ही हैं पर...