विराट अयोध्या की यात्रा पर ले जाती है अहो! अयोध्या – रामबहादुर राय

अहो!अयोध्या अयोध्या आंदोलन के सृजनात्मक पक्ष अनेक हैं। अनंत हैं। आंदोलन की पूर्णाहुति के पश्चातइस पक्ष पर ध्यान दिया जाने लगा है। लेकिनजब कभी इसका अध्ययन होगा और जानने का प्रयास होगा कि आंदोलन की पूर्णाहुति से पहले ही उसके सृजन पक्ष को केंद्र में रखकर पहली पहल किसने...

Read More

अयोध्या की महिमा गाती, पुस्तक ‘अहो! अयोध्या’

अयोध्या भूमि में आकर्षण है। आज नहीं आदि से। यहां शांति और संतुष्टि प्राप्त होती है। साधक, श्रद्धालु भक्त के साथ देवता भी यहां वास करना चाहते हैं। भारतीय अध्यात्म जगत में अयोध्या को ऊर्जा और शांति का केंद्र माना जाता है। श्रद्धालुओं से आर्ष ग्रंथों तक इसकी तुलना...

Read More

अयोध्या पर्व अयोध्या के आत्मपरिचय का प्रयास है

पिछले सप्ताह दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में दूसरा अयोध्या पर्व मनाया गया। यह पर्व 28,29 फरवरी और 1 मार्च को आयोजित हुआ। तीन दिन के इस आयोजन में आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और लोक परंपरा के कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। अयोध्या और अवध इलाके के स्वाद को...

Read More

कितनी बड़ी थी अयोध्या

श्रीमद् वाल्मीकि रामायण के अनुसार चक्रवर्ती सम्राट दशरथ के शासनकाल में अयोध्या नगरी पूर्व-पश्चिम में 84 कोस लंबी और उत्तर-दक्षिण में 12 कोस चौड़ी थी। आज भी इस पौराणिक सीमा को याद करते हुए अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा की परंपरा चली आ रही है जो अयोध्या के साथ-साथ...

Read More

मै अयोध्या हूँ …..

मै अयोध्या सिर्फ शब्द भर नहीं हूँ , शब्दब्रह्म हूं। कमोबेश व्यापक,व्यापक , अखंड और अनंत जैसी स्थिति मे हूँ। संस्कृति की शिला पर मै हर युग मे स्वर्णिम हस्ताक्षर करती रही हूं। संस्कृति एवं सभ्यता का अंतिम शिरा जिस बिंदु पर जाकर ठहर जाता है , वह मै...

Read More

राम लोकतांत्रिक हैं क्योंकि अपार शक्ति के बावजूद मनमाने फैसले नहीं लेते

जिसमें रम गए वही राम है. सबके अपने-अपने राम हैं. गांधी के राम अलग हैं, लोहिया के राम अलग. वाल्मीकि और तुलसी के राम में भी फर्क है. भवभूति के राम दोनों से अलग हैं. कबीर ने राम को जाना था, तुलसी ने माना. राम एक ही हैं पर...

Read More
  • 1
  • 2