श्रीमद् वाल्मीकि रामायण के अनुसार चक्रवर्ती सम्राट दशरथ के शासनकाल में अयोध्या नगरी पूर्व-पश्चिम में 84 कोस लंबी और उत्तर-दक्षिण में 12 कोस चौड़ी थी। आज भी इस पौराणिक सीमा को याद करते हुए अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा की परंपरा चली आ रही है जो अयोध्या के साथ-साथ अंबेडकर नगर, बस्ती, बाराबंकी और गोंडा जिलों से होकर गुजरती है। यह परिक्रमा चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मख भूमि से प्रारंभ होकर वैशाख के शुक्ल पक्ष अष्टमी को अयोध्या पहुंच कर पूरी होती है।

ध्यान देने की बात है कि 84 कोसी परिक्रमा 275 किमी लंबी है। इस परिक्रमा मार्ग पर और इसके आस-पास ऐसे कई पौराणिक स्थल हैं जिनसे भारत की सांस्कृतिक पहचान जुड़ी हुई है। श्रृंगी, आस्तीक, गौतम, सुमेधा, यमदग्नि, च्यवन, रमणक, वामदेव, अष्टावक्र तथा पाराशर जैसे ऋषियों की तपस्थलियों के साथ-साथ इस परिधि में भगवान राम से जुड़े हुए कई स्थान हैं। 84 कोस में मौजूद धरोहर स्थलों की सूची बहुत लंबी है। इन स्थलों के जरिए भारत के पौराणिक अतीत के साथ-साथ इतिहास की भी एक ऐसी झांकी दिखाई देती है, जिसका कहीं और दर्शन होना दुर्लभ है।