आज की अयोध्या सरयू तट के विपरीत दिशा में 5 किमी और उसके समानांतर 2.5 किलोमीटर में सिमटी हुई है। सच कहें तो वर्तमान स्वरूप में अयोध्या शहर नहीं बल्कि एक कस्बा है। आशा की जा रही है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद जहां एक ओर भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू होगा, वहीं अयोध्या नगर के दिन भी फिर से बहुरेंगे क्योंकि भव्य अयोध्या के बिना भव्य राम मंदिर अधूरा होगा। हमें नहीं भूलना चाहिए कि अयोध्या भारतीय सभ्याता-संस्कृति का आदि बिंदु है। इसलिए उसका अभ्युदय नए भारत के उदय का सबसे बड़ा प्रतीक है।

अयोध्या की बाह्य भव्यता समय के साथ लुप्त और प्रकट होती रहती है। लेकिन इसकी आंतरिक भव्यता तो शाश्वत है। हमें एक राष्ट्र के रूप में उसे फिर से देखने और समझने की दृष्टि भी विकसित करनी होगी। इसलिए जरूरी है कि वृहत्तर अयोध्या हमारे सांस्कृतिक विमर्श का हमेशा हिस्सा बना रहे।
हम अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभा पाएं, इसके लिए प्रभु राम और उनके अनन्य भक्त हनुमान हमारी सहायता करेंगे, इसी आशा और विश्वास के साथ आप सभी को अगली पोस्ट तक राम-राम, सीता-राम।